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संविधान क्यों और कैसे Chapter 1 Notes in Hindi Political Science 11th Book 1 Why and how the Constitution sanvidhaan kyon aur kaise

Chapter -1 संविधान क्यों और कैसे




 Chapter -1 


संविधान  और क्यों कैसे 



संविधान का अर्थ बताइए ?

  • संविधान एक ऐसा लिखित / अलिखित दस्तावेज होता है जिसमें किसे देश में शासन व्यवस्था चलाये जाने से सम्बंधित नियम , कायदे , कानून होते है

  • संविधान में शासन व्यवस्था का स्वरूप , सरकार की शक्तियां , जनता के अधिकार और कर्तव्य , संस्थाएं,सरकार के विभिन्न अंग और उसके कार्य , प्रशासन इत्यादि के बारे में विस्तृत जानकारी मिलती है


संविधान का क्या कार्य है ?

1. संविधान देश के नागरिको की इच्छाओ और आकांक्षाओं को पूरा करने का जरिया होता है 

2. संविधान किसी भी देश की राजनीतिक प्रक्रिया की मूल संरचना का निर्धारक होता है

3. संविधान किसी भी देश में सरकार और लोगों के बीच संबंधों को नियमित करता है 

4. सरकार के तीन प्रमुख अंगों की स्थापना  विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका की स्थापना सविधान द्वारा होती है


संविधान कितने प्रकार के होते हैं ?

संविधान मुख्यतः 2 प्रकार के होते है

1. लिखित संविधान

  • लिखित संविधान एक संविधान सभा द्वारा तैयार किया जाता है इसमें देश के निर्माण के मूल तत्व,नागरिकों के अधिकार और कर्तव्य, सरकार की संरचना ,कार्य और न्यायिक प्रणाली का समन्वय होता है 

  • जैसे - भारत, अमेरिका, फ़्रांस, डेनमार्क, ब्राजील


2. अलिखित संविधान

  • अलिखित संविधान  संविधानी निर्णय प्रणालियों, परंपराओं, कानूनों, प्रस्थानों और सांस्कृतिक अभ्यासों के माध्यम से स्थापित होता है।

  • जैसे ब्रिटेन, इजरायल


संविधान की आवश्यकता

1. समाज में तालमेल बनाने के साथ राष्ट्रीय एकता और स्थिरता को सुनिश्चित करता है 

2. कानून व्यवस्था बनाए रखने के साथ न्याय वितरण में संरक्षा प्रदान करता है।

3. न्यायपूर्ण समाज की स्थापना के लिए नागरिकों के मौलिक अधिकार और कर्तव्यों को संरक्षण प्रदान करता है

4. शासन व्यवस्था चलाने के लिए राजनीतिक स्थिरता और अच्छी शासन प्रणाली की व्यवस्था बनता है 

5. सत्ता के दुरुपयोग रोकने के लिए देश की निर्माण और उसकी संरचना में समय-समय पर परिवर्तन करने की क्षमता प्रदान करता है


भारतीय संविधान सभा का गठन 

1. जुलाई 1945 में ब्रिटेन में नई लेबर पार्टी सरकार सत्ता में आई फिर भारतीय संविधान सभा बनने का रास्ता खुला

2. कैबिनेट मिशन योजना के अनुसार यह तय हुआ कि संविधान बनाने के लिए एक संविधान सभा बनाई जाएगी जिसका गठन 9 दिसंबर 1946 को हुआ 

3. संविधान सभा के सदस्यों का चयन ब्रिटिश प्रांत के प्रत्येक प्रांत को उनकी जनसंख्या के अनुपात में दिया गया 

4. प्रत्येक दस लाख की जनसंख्या पर लोगों पर एक सीट तय की गयी प्रत्येक प्रांत की सीटो को तीन प्रमुख समुदाय सामान्य , सिख एवं मुसलमान में उनकी जनसंख्या के अनुपात में बांटा गया 


संविधान सभा की संरचना 

1. संविधान सभा की कुल सदस्य संख्या 389 निर्धारित की गई थी 

2. जिनमें से 292 प्रतिनिधि ब्रिटिश भारत के गवर्नर के अधीन 11 प्रांतों से होंगे 

3. चार प्रतिनिधि चीफ कमिश्नरों के चार प्रांत 

  • दिल्ली 
  • अजमेर (मेरवाड़ा )
  • ब्रिटिश बलूचिस्तान 
  • कुर्ग  

4. 93 प्रतिनिधि भारतीय रियासतों से लिए जाने थे 

5. जून 1947 माउंटबेटन योजना के अनुसार भारत - पाकिस्तान विभाजन तय हुआ परिणामस्वरूप पाकिस्तान के सदस्य संविधान सभा के सदस्य नहीं रहे और भारतीय संविधान सभा के वास्तविक सदस्यों की संख्या घटकर 299 रह गयी 

6. 26 नवंबर 1949 को संविधान सभा में कुल 284 सदस्य ही उपस्थित थे , इन्होने ही अंतिम रूप से पारित संविधान पर हस्ताक्षर किये 


भारतीय संविधान का निर्माण 

1. संविधान सभा की पहली बैठक 9 दिसंबर 1946 को हुई थी डॉ सच्चिदानंद सिन्हा को संविधान सभा का अस्थाई अध्यक्ष बनाया गया

2. संविधान सभा की दूसरी बैठक 11 दिसंबर 1946 को हुई जिसमें डॉ राजेंद्र प्रसाद को संविधान सभा का स्थाई अध्यक्ष बना दिया गया 

3. संविधान सभा की तीसरी बैठक 13 दिसंबर 1946 को हुई जिसमें पंडित जवाहरलाल नेहरू ने संविधान का उद्देश्य प्रस्ताव किया इसमें भावी संविधान की रूपरेखा प्रस्तुत की गई

4. उद्देश्य प्रस्ताव को 22 जनवरी 1947 को संविधान सभा ने स्वीकार किया

5. संविधान सभा की प्रारूप समिति का अध्यक्ष डॉक्टर भीमराव अंबेडकर को चुना गया

6. भारत के संविधान को बनाने में 2 वर्ष 11 महीने 18 दिन का समय लगा इसमें कुल 166 बैठकें हुई 

7. मूल संविधान में 395 अनुच्छेद , 22 भाग और 8 अनुसूचियां थी ,वर्तमान में 8 अनुसूचियों की संख्या बढ़ाकर 12 कर दी गई है 

8. 26 नवंबर 1949 को संविधान बनकर तैयार हो गया था परंतु इसे पूर्णतया लागू  26 जनवरी 1950 को किया गया था


भारतीय संविधान के स्रोत 

1. भारतीय संविधान का लगभग 75 % हिस्सा भारत सरकार अधिनियम 1935 से लिया गया है 

2. भारतीय संविधान में अन्य देशों से भी प्रावधान लिए गए है इसीलिए भारत के संविधान को उधार का थैला भी कहा जाता है 

भारतीय संविधान में अन्य देशों से लिए गए प्रावधान

👉 ब्रिटिश संविधान

  • सर्वाधिक मत के आधार पर चुनाव में जीत का फैसला 

  • सरकार का संसदीय स्वरूप 

  • कानून के शासन का विचार 

  • विधायिका में अध्यक्ष का पद और उनकी भूमिका 

  • कानून निर्माण विधि


👉फ्रांस का संविधान

  • स्वतंत्रता , समानता और बंधुत्व का सिद्धांत


👉आयरलैंड का संविधान

  • राज्य के नीति निर्देशक तत्व
  • राज्य सभा में मनोनीत सदस्य


👉दक्षिण अफ्रीका  का संविधान

  • संसोधन प्रक्रिया 


👉अमेरिका का संविधान

  • मौलिक अधिकार 

  • न्यायिक पुनरावलोकन की शक्ति   

  • न्यायपालिका की स्वतंत्रता 


👉कनाडा का संविधान

  • अर्ध संघात्मक सरकार
  • अवशिष्ट शक्तिओ का सिधांत


भारतीय संविधान की विशेषता

1. दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान है

2. भारतीय संविधान न अधिक लचीला ना ही अधिक कठोर है क्यूंकि इसमें संशोधन किया जा सकता है पर इसके लिए विशेष बहुमत की जरुरत पड़ेगी

3. राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांत जो देश के नागरिको को नैतिक, सामाजिक, और आर्थिक विकास के लिए महत्वपूर्ण है

4. भारतीय  संविधान में नागरिकों के मौलिक अधिकारों की गारंटी दी गई है, जिसमें स्वतंत्रता, समानता, न्याय, धर्मीनरपेक्षता और राष्ट्रीय एकता  जैसे अन्य महत्वपूर्ण मुद्दे शामिल हैं।

5. सार्वभौमिक क्यस्क मताधिकार जो बिना किसी भेदभाव के सभी व्यस्क लोगो को मतदान का अधिकार देता है 

6. दुनिया का सफलतम संविधान जबसे बना है अभी तक कायम है 

7. संसदीय शासन प्रणाली को अपनाया गया है साथ ही संघीय संरचना का आधार है जिसमें केंद्र और राज्यों के बीच संरचनात्मक संतुलन है 

8. भारतीय संविधान में इकहरी नागरिकता का प्रावधान है 

9. संविधान भारत के सर्वोच्च कानून होता है इसलिए स्वतंत्र और निष्पक्ष न्यायपालिका का गठन किया गया है 


संविधान के प्रमुख कार्य क्या है?

1) वह आधारभूत नियमों का एक ऐसा समुह उपलब्ध कराएं जिससे समाज के सदस्यों में एक न्यूनतम तालमेल एवं विश्वास बना रहे

॥) समाज में फैसला लेने की शक्ति किसके पास होगी संविधान यह भी निर्धारित करता है कि सरकार किस प्रकार निर्मित होगी

III) सरकार के द्वारा अपने नागरिकों पर लागू किए जाने वाले कानूनों की कोई सीमा निश्चित करें यह सीमाएं इस रूप में मौलिक होती हैं कि सरकार भी उन कानूनों का उल्लंघन नहीं कर सकती

IV) सरकार को ऐसे सामर्थ्य प्रदान करें जिससे वे जनता की इच्छाओं को पूरा कर सकें तथा एक न्याय पूर्ण समाज की स्थापना हेतु उचित परिस्थितियों का निर्माण कर सकते हैं


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